मालवी कविता :
एसो तेवार वेलेंटाइनडे कवायो
सेर का चोराया पे दो टेगडा टेगडी ने रंग जमायो
टेगडा ने टेगडी के सुन्ग्यो ने जबान से लार टपकायो
इतरा में एक सांड वाई से आयो ने जोर से गुर्रायो
टेगडो बोल्यो दादा आज वेलेंटाइन डे हे मनायो
हमने यो तेवार मनानो तथाकथित आदमी जात से पायो
अबे उलटो हुई गयो हे सांड दादा,
जानवर हुवो हे आदमी अबे असो नवो जमानो आयो
असी नंगइ करे आदमी के जानवर भी हे शर्मायो ,
एसो तेवार वेलेंटाइनडे कवायो ,
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