Sunday, February 19, 2012

भादरियो :मालवी नानी बारता




भादरियो :मालवी नानी बारता 

उका बाप ने उको नाम बड़ा लाड़ नाम बहादुर सिंग ठाकुर राख्यो थो | बहादुर सिंग ठाकुर के आखा गाव का लोग भादरियो केता था| हमारा मालवा मे आखो नाम लेवा को रिवाज नी हे | हम नाम बिगाड़ी केज लेवा हा | जैसे बाबू के बाबूडो ,राजेश के राजेषो ,राम के रामलो,
गिरीश के गिरिसो | भदरिया को नाम भी एसेज पडियो | घर मे ने नातेदारी मे भी भादरियो केवावा लागि ग्यो| जदे उको ब्याव हुऊओ तो उका सासरा का लोग भी उके भादरजी केवा लागिग्या | बहादुर सिंग तो स्कूल की दूसरी क्कछा तक चल्यो आगे भनवा को तो सवालज पेदा ने होतो|
भादरियो आखा गाव मे भोलो भालो मान्यो जातो थो ने आखा गाव का लोग उके लाड़ करता था |  बडो हुयो तो उका बाजी ने उके 10-15 भेस खरीद दी आबे उनके चरावा को, नवाने धोवाने को, चारो बाटो करवा को ,दूध कादवा को, दूध मापने को, सागलो काम भदरिया के सोपी दियो
ने खुद हतए मे बैठी के सेलम पीवे | बापडो सवेरे 4 बजे से उठतो ने बाटो मेलातो ने भेस होन को दूध कादतो ने बंदी वाला के नापतो | दूधवालो चाय जदे मावा के कड़ाई लय के बेठि जातो ने बिचारा भादरियो का पैसा काट देतो फिर भी भादरियो सबेरे से भेस छोड़ी के चरावा निकली जातो |उकी बाई उके सीरवणी कराती ने दफोर सारू गोल ने जुवार के रोटी ने लसन की मिर्ची एक कपड़ा मे बंधी के दाई देती |बस फेर भादरियो ने वीभेस गोया गोया ,काकड़ काकड़ , माल मे भेस चरातो | चार बजे फिर हे उज् दूध निकलवा को काम | एक दिंन पास का गाव से उको रिस्तो आयो | उका बा ने आव देख्यो ने ताव ने उको ब्याव करने कोटेम  आयो | भादरियो बिचारो लाडी के देखवा सारू छटपटाई रियो थो |उणे धीरे से काकाजी से बोल्यो के काकाजी म्हारे एक बार छोरी के देखवा तो लेतो | काकाजी ने उके एसो डॅटीयो के बापडो फिर से बोली नी पायो |काई हम थारा सारू गेली छोरी लवागा |अरे तू एतरो बडो हुए गयो के हमारी बात नी सुनेगो ने तू एतरो बेसरम हुई गयो हे के छोरी देखवा जावेगो काई तू सेर सेआयो हे ,काई तू एम बी कर के आयो हे ,बाप दादा को नाम लाजवेगो | डाट डपत करिके बिचारा के चुप कर दियो | पंद्रा दन पेला से उके लाडो बनाई दियो |खोल्या मे एक सुपारी को कॅटको ,
छोटो सो सरोतो ,सॉफ ने दाख हमेसा रेती थी |कोई भी मिलतो सुपारी कटवा लगी जातो | एक पीला रंग को कुरतो पूरा 14 दन तक पेरी राख्यो ,रोज हल्दी लगाई के वि kaपड़ा पेरी लेतो |फिर उक उगलई के गोडा पे बेठायो ने माथा पे खोड्या को सेरो बान्ध्यो | आखा गांम् मे खाली पटेल बा का या  घोडो थो सगला ब्योव योज घोडो करतो थो | बारात मे 4-5 छकडा गया ,गांम् का जाण्या पिचानिया लोग ब्ररात मे गया | खूब दारू पी ने लादी लय के आई ग्या लाडाके नवी धोतीने नवी कमीज़ पेरीने बापडा का नवा जुता लानो तो भूलीग्या जुनी चमारी  पनी पेरी केज उका लग्न हुई ग्या नवी लाडी के सब अछो लागियो पर उके भदरिया को भेस च्ररावा को काम अच्छो नी लागियो लाडी 11किताब बणी थी |बापडो भदरियो दुखी रेवा लागियो उकी लाडी बोली के तमा तो भेस बेचो ने अपन तो सेर चला वा नोकरी मिली जावेगी आबे बापडो भदरियो परेशान काई करे सोच्यो के भेस बेची दी ने नोकरी नी मिली तो काई होगो |बड़ा बूड़ा की राय ली सबने समझायो के गेल्या भेस बेची के या लाडी थारा पाईसा खर्च हुई जावेगो फिर तूतो सड़क पे आई जावेगो | आबे भदरियो परेशान के काई करे | लाडी का केवा मे आई के भेस बेची दे तो काई मालम् नोकरी मिलेगी भी के नी | लाडी उके रोज टाचे | आबे भदरियो आई देखे तो कूवो ने आई देखे तो कराड | नी तो उको मन भेस चरावा मे लगे ने नी लाडी से बोले |आखा टेम सोचतो ज रेवे |आई उकी लाडी ने रंग दिखायो ने वा रोज हबेरे मोडी उठे ने काई काम ने करे | नी तो गोबर सोरे ने निज कंडा थापे |रोज नवी नवी चीज मांगेन्ररा द्नन्न तक एसोज़ चालतो रियो पर भदरिया ने नी तो भेस बेची ने नी घर छोड़योएक  दिंन माल म्पड़यो के उकी लाडी पास एक हली का छोरा का साथ भाग सेर भाग गई | भदरियो फिर से एक्लो  र्री  ग्यो | आई उका   को भी ब्योव हुई गयो |छोटा की लाडी बापडा भदरिया के रोटी भी नी दे | एसा मे भदरियो बीमार रेवा लगी ग्यो ने कमजोर हुई ग्योउनाज गाँव की एक छोरी  विधवाहुई गई थी जो हाली की छोरी थी | गाँव का पटेल ने दुई को ब्योव करायो ने दोई आबे  अपनी गिंदगी गुजरवा लागि ग्या |